१४ सितम्बर – हिन्दी दिवस 
हिन्दुस्थानी है हम ,गर्व करो हिन्दी पर 
सम्मान देना ,दिलाना कर्तव्य है हम पर 
खत्म हुआ विदेशी शासन, अब तोडों बेडियों को 
तहे दिल से अपनाओं ,खुले आसमॉ को 
पर ना छोडो धरती के प्यार
को 
हिन्दी है मातृतुल्य हमारी, 
इस पर न्यौछावर करो, 
जिंदगी सारी । 
      किसी भी राष्ट्र की पहचान उसकी भाषा और उसकी
संस्कृती से होती है । पुरे विश्व में हर देश की अपनी एक भाषा और अपनी एक संस्कृती है जिसकी
छॉंव में उस देश के लोग पले बडे होते है । 
           यदी कोई देश अपनी मूल भाषा
को छोडकर दुसरे देश की भाषा पर आश्रित होता है ,उसे सांस्कृतिक रूप से गुलाम माना जाता है । क्योंकी जिस भाषा को लोग
अपने पैदा होने से लेकर अपने जीवनभर बोलते है , लेकिन आधिकारिक रुप से दुसरी भाषा पर निर्भर रहना
पडे तो कई न कई उस देश के विकास में उस देश की अपनाई गई भाषा ही सबसे बडी बाधक
बनती है । 
लेकिन यदी आप जो बोलते है
उसे छोडकर कोई दुसरी भाषा मे आपको कार्य करना पडे तो कई न कई यही दुसरी भाषा हमारे
विकास में बाधक जरूर बनती है ।  
                  किसी भी आजाद देश की अपनी एक
राष्ट्रभाषा होती है ,जो उसका गौरव होती है तथा
राष्ट्रीय एकता और राष्ट्र के स्थायित्व के लिए पुरे देश में उसका उपयोग होता है ।
              इसी तरह देश की अपनी एक
राजभाषा भी होती है । राजभाषा मतलब सरकारी कामकाज की भाषा और जिससे एक आम नागरिक
भी सरकार के कामकाज को समझ सके । 
                  हिन्दी को भारत में राजभाषा का
दर्जा प्राप्त है । किसी भी भाषा को राजभाषा बनने के लिए उसमे सर्वव्यापकता ,प्रचुर साहित्य रचना ,बनावट की दृष्टी से सरलता
और वैज्ञानिकता ,सब प्रकार के भावों को
प्रकट करने का सामर्थ्य आदी गुण होने अनिवार्य होते है ।यह सभी गुण हिन्दी भाषा
में है । 
निज भाषा उन्नति अहै , सब उन्नति का मूल । 
बिन निज भाषा –ज्ञान के ,मिटत न हिय को सूल ।। 
विविध कला ,शिक्षा अमिट , ज्ञान अनेक प्रकार । 
सब देसन से लै करहू , भाषा माहि प्रचार ।। 
अर्थ : निज यानी अपनी मूल भाषा
से ही उन्नति सम्भव है ,क्योंकी यही  सारी हमारी मूल भाषा ही सभी उन्नतियों का
मूलाधार है , और मातृभाषा के ज्ञान के
बिना हृदय की पिडा का निवारण सम्भव नही है । हमें विभिन्न प्रकार की कलाओ ,असीमित शिक्षा तथा अनेक
प्रकार का ज्ञान सभी देशों से जरूर लेने चाहिए ,परन्तु उनका प्रचार मातृभाषा में ही करना चाहीए । 
 भारत देश विभिन्न संस्कृतियों का मिश्रण है । इसके     परिणामस्वरूप भारत एक विभिन्न भाषाओं का देश भी बन गया है । इन सभी भाषाओं में हिंदी को
देश की राष्ट्रभाषा का दर्जा दिया गया है । 
            हिन्दी भाषा ,आज संसार मे सर्वाधिक बोली
जानेवाली भाषाओं में से एक है । इसे सम्मान देने के लिए प्रतिवर्ष १४ सितम्बर को
हिन्दी दिवस मनाया जाता है । वास्तव में ,आजादी के बाद ,१४ सितम्बर १९४९ के दिन ही हिन्दी को देश की
मातृभाषा का गौरव प्राप्त हुआ । 
चौदह सितम्बर को हिन्दी
दिवस मनाने का निर्णय १९५३ में लिया गया । १४ सितम्बर १९४९ को संविधान सभा ने एक
मत से यह निर्णय लिया कि ,हिन्दी ही भारत की राजभाषा
होगी ।  
                        इसी महत्वपूर्ण निर्णय के
महत्व को प्रतिपादित करने तथा हिन्दी को हर क्षेत्र में प्रसारित करने के लिये
राष्ट्रभाषा प्रचार समिती ,वर्धा के अनुरोध पर वर्ष
१९५३ से पुरे भारत में १४ सितम्बर को प्रतिवर्ष हिन्दी दिवस के रूप में मनाया जाता
है । 
वर्ष १९१८ में गांधीजी ने
हिन्दी साहित्य सम्मेलन में हिन्दी भाषा को राष्ट्रभाषा बनाने को कहा था । इसे गांधीजी ने जनमानस की
भाषा भी कहा था । 
                स्वतंत्र भारत की राजभाषा
के प्रश्न पर १४ सितम्बर १९४९ को काफी विचार विमर्श के बाद यह निर्णय लिया गया जो
भारतीय संविधान के भाग १७ के अध्याय की धारा ३४३(१) में इस प्रकार वर्णीत है : 
संघ की राजभाषा हिन्दी और
लिपि देवनागरी होगी । 
संघ के राजकीय प्रयोजनों के
लिए प्रयोग होनेवाले अंकों का रूप आंतराष्ट्रीय रूप होगा । 
यह निर्णय १४ सितम्बर को
लिया गया ,इस कारण हिन्दी दिवस के लिए
इस दिन को श्रेष्ठ माना गया था 
दुनिया में बोलने वालों की
संख्या के अनुसार अंग्रेजी और चीनी भाषा के बाद पुरी दुनिया में तिसरी बडी भाषा
हिन्दी है । लेकीन उसे अच्छी तरह समझने , पढने और लिखने वालों में यह
संख्या बहुत ही कम है । यह और भी कम होती जा रही है । 
                            
इसके साथ ही हिन्दी भाषा पर
अंग्रेजी के शब्दो का भी बहुत अधिक प्रभाव हुआ है 
और कई शब्द प्रचलन से हट गए और अंग्रेजी के शब्दों ने उसकी जगह ले ली है । जिससे भविष्य में भाषा के
विलुप्त होने की संभावना अधिक बढ गई है । 
                              
इस कारण ऐसे लोग जो हिन्दी
का ज्ञान रखते है या हिन्दी भाषा जानते है , उन्हे हिन्दी के प्रति अपने कर्तव्य का बोध
करवाने के लिए इस दिवस को हिन्दी दिवस के रूप में मनाया जाता है जिससे वे सभी अपने
कर्तव्य का पालन कर हिन्दी भाषा को भविष्य में विलुप्त होने से बचा सके । 
अन्त में - 
मधुर ,मधुर मनोहारी है । 
हिन्दी भाषा प्यारी है ।। 
अद्भुत शान हमारी है । 
अपनी हिन्दी प्यारी है ।। 
जय हिन्द ! 
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